कोटद्वार में सिंह द्वार के उद्घाटन और वार्षिक मेले का शुभारंभ

 

कोटद्वार के प्रसिद्ध बाबा सिद्धबली मंदिर में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें लोकप्रिय विधायक महंत श्री दलीप रावत जी ने सिंह द्वार का उद्घाटन तथा बाबा सिद्धवली वार्षिक अनुष्ठान मेले का पूरे विधि विधान से शुभारम्भ किया. इस अवसर पर भाजपा की वरिष्ठ नेत्री डॉ सुनीता बौड़ाई विधार्थी ने प्रतिभाग कर पूजा उद्घाटन में शामिल होकर वार्षिक मेले का शुभारंभ किया गया। बाबा सिद्धबली मंदिर अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, और यह कार्यक्रम इस धार्मिक स्थल के महत्व को और भी बढ़ाने वाला रहा।

बाबा सिद्धबली धाम उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल ज़िले के कोटद्वार शहर में स्थित हनुमान जी महाराज का एक बहुत ही प्रसिद्ध और प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर है। यह मंदिर उत्तराखंड की देवभूमि में आस्था का एक बड़ा केंद्र है। मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें: देवता: यह मंदिर मुख्य रूप से बजरंगबली (हनुमान जी) को समर्पित है। यह मंदिर कोटद्वार शहर से लगभग 3-4 किलोमीटर की दूरी पर खो नदी के किनारे एक शांत और सुंदर स्थान पर स्थित है। मान्यता: भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना यहाँ पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त यहाँ भंडारा (सामुदायिक भोजन) करते हैं। इस मंदिर में भंडारे की परंपरा बहुत पुरानी है और यहाँ भंडारे की बुकिंग कई वर्षों पहले तक की हो चुकी होती है। कुछ जानकारी के अनुसार, भंडारे की बुकिंग 7-8 साल बाद तक की भी मिलती है। बाबा को प्रसाद के रूप में विशेष रूप से गुड़ की भेली, गुड़-पताशे और नारियल चढ़ाया जाता है। मंदिर परिसर में शनिदेव जी का मंदिर भी है। यह मंदिर चार धाम यात्रा पर जाने वाले यात्रियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है, जहाँ वे अपनी यात्रा की शुरुआत से पहले दर्शन करते हैं। कोटद्वार रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन से यहाँ तक पहुँचने के लिए ऑटो रिक्शा या कैब आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

इस अवसर पर विभिन्न विभिन्न झांकियां निकाली गई, जिनमें राम जी, हनुमान जी, और अन्य धार्मिक पात्रों की झांकियां शामिल थीं। इन झांकियों ने मेले के माहौल को और भी आकर्षक और भव्य बना दिया। स्थानीय लोगों ने इन झांकियों का बड़े उत्साह और आनंद के साथ स्वागत किया।

यह 3 दिवसीय कार्यक्रम उत्तराखंड के गायक कलाकारों की प्रस्तुतियों से भी सजाया जाएगा, जो अपनी सुरीली आवाज़ में भजन, लोकगीत और अन्य संगीत प्रस्तुत करेंगे। उनकी प्रस्तुतियों से मेले का वातावरण और भी भक्तिमय और आनंदमय हो जाएगा। इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।

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