निर्जलित पुष्प शिल्प से आत्मनिर्भरता की राह : जलागम प्रबंधन निदेशालय की टीम ने NBRI लखनऊ में प्रशिक्षण लिया

📌 हाईलाइट्स

  • तीन दिवसीय प्रशिक्षण (29 सितम्बर – 1 अक्टूबर 2025) CSIR–NBRI, लखनऊ में आयोजित।
  • ग्रीन-एजी परियोजना टीम ने सक्रिय सहभागिता की।
  • प्रशिक्षण में पुष्पों से ग्रीटिंग कार्ड, राखी, फ्रेम, गुलदस्ते, परफ्यूम और प्राकृतिक रंग बनाने की तकनीक सिखाई गई।
  • डॉ. अजीत कुमार, निदेशक CSIR-NBRI : “व्यर्थ फूलों से मूल्यवान उत्पाद बनाकर ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा मिल सकता है।”
  • प्रतिनिधि मंडल : जलागम प्रबंधन निदेशालय, मसूरी वन प्रभाग और स्थानीय विशेषज्ञ शामिल।
  • डॉ. ज्योति मारवा ने परफ्यूम व टिमरू आधारित उत्पाद निदेशक को भेंट किए।
  • प्रतिभागियों का मत : तकनीक को उत्तराखंड की महिलाओं व युवाओं के रोजगार से जोड़ा जाएगा।

देहरादून, 29 सितम्बर 2025

जलागम प्रबंधन निदेशालय, देहरादून से ग्रीन-एजी परियोजना के प्रतिनिधियों ने 29 सितम्बर से 1 अक्टूबर 2025 तक राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI), लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय निर्जलित पुष्प शिल्प पर उन्नत प्रशिक्षण में सक्रिय सहभागिता की। यह प्रशिक्षण CSIR-NBRI द्वारा फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं और किसानों को फूलों के पुनः उपयोग की तकनीक सिखाकर स्वरोजगार एवं आजीविका संवर्धन के अवसर उपलब्ध कराना है।

प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को पुष्यों को सुखाकर ग्रीटिंग कार्ड, राखी, फ्रेम, गुलदस्ते, परफ्यूम, प्राकृतिक रंग तथा अन्य उत्पाद बनाने की तकनीकें सिखाई गई।

CSIR-NBRI के निदेशक डॉ. अजीत कुमार ने कहा,

“हमारे देश में लाखों मंदिरों में प्रतिदिन प्रयुक्त होने वाले फूल अक्सर व्यर्थ फेंक दिए जाते हैं। इन्हें सुखाकर सुंदर व मूल्यवान उत्पाद बनाकर आजीविका के नए अवसर सृजित किए जा सकते हैं।”

जलागम प्रबंधन निदेशालय, देहरादून से श्री उपेंद्र रावत (बायोडायवर्सिटी विशेषज्ञ), सुश्री गीता रावत (जैडर एंड सोशल एक्सपर्ट), श्री रजनीश सिंह (उन्नतिशील कृषक, पौड़ी), मसूरी वन प्रभाग से श्री आनंद सिंह रावत (वन दरोगा), डॉ. ज्योति मारवा (डायरेक्टर डॉ ओम प्रकाश दुग्गल चैरिटेबल सोसाइटी एंड हिम सुरभि एरोमा म्यूजियम, मसूरी), श्री विवेक डोभाल (वन आरक्षी), तथा अभिलाषा श्रीवास्तव, डॉ. दीक्षा गौतम, नीलम सिंह, विनोद सिंह यादव, सविता रमोला ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया।

मसूरी से आई डॉ. ज्योति मारवा ने अपने स्वनिर्मित प्राकृतिक उत्पाद जैसे परफ्यूम, टिमरू से बने माउथ फ्रेशनर और एल्डर बैरी उत्पाद CSIR-NBRI के निदेशक को भेंट किए।

जलागम प्रबंधन निदेशालय की टीम एवं समस्त प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी एवं रोजगारपरक बताया। टीम का कहना है कि इस तकनीक की उत्तराखंड के आजीविका संवर्धन कार्यक्रमों में शामिल कर स्थानीय महिलाओं और युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान किए जाएंगे।

🌿 निर्जलित पुष्प शिल्प से आत्मनिर्भरता की राह

“ग्रीन-एजी परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड में महिलाओं और युवाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण देकर स्थायी आजीविका और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करना है।”

  

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